Friday, August 24, 2018

कम संसाधन हो तो भी सफलता कैसे पाएं? सीखीए विजय गुर्जर से

  • ये स्टोरी है राजस्थान के झुंझुनूं जिले के एक किसान परिवार में जन्मे विजय गुर्जर की। उन्होंने 10वीं में मात्र 55 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। 12वीं में अंकों प्रतिशत 67 तक पहुंचा।
  • नौकरी की तलाश करते-करते उन्होंने कारोबार करने की भी सोची, लेकिन व्यवसाय के लिए आवश्यक पूंजी की कमी के चलते यह विचार त्याग दिया।
  • पिता लक्ष्मण सिंह के प्रोत्साहन पर नौकरी की तलाश शुरू की, जो जून 2010 में दिल्ली में कांस्टेबल के पद पर तैनाती के साथ खत्म हुई।
  • लेकिन विजय ने अपना विजय रथ यहीं नहीं रोका। नौकरी करते हुए दिसंबर 2010 में ही दिल्ली में दारोगा बने।
  • इसके बाद उन्होंने एसएससी की तैयारी की और सेंट्रल एक्साइज में चुने गए। लेकिन तैनाती केरल के त्रिवेंद्रम में मिलने के कारण उन्होंने फिर से एसएससी की परीक्षा दी और इस बार इनकम टैक्स विभाग में चयन हुआ। दिल्ली में तैनाती मिली तो सिविल सेवा की तैयारी करते रहे।
  • विजय ने सन् 2016 में तीसरी बार सिविल सेवा की परीक्षा दी। संस्कृत जैसा कठिन विषय उन्होंने चुना। लेकिन साक्षात्कार में महज 8 अंकों से चूक गए।
  • हार न मानते हुए जीवटता के धनी विजय ने प्रयास करना नहीं छोड़ा। नौकरी की, साथ ही 10 घंटे पढ़ाई भी की।
  • पांचवें प्रयास में वर्ष 2018 में विजय का चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में हुआ है।
  • मेहनत के बल पर सफलता का स्वाद चखने वाले विजय का मानना है कि अभाव व कम संसाधन कभी विजय रथ को रोक नहीं सकते। यह जरूर है कि अभाव के कारण सफलता पाने में समय लग जाता है।
  • मेहनत के साथ ही समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी मानते हुए विजय एक ट्रस्ट चलाते हैं, जो गरीब व अभावग्रस्त बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करता है।

*13 अगस्त, 2018 को समाचार पत्रों में प्रकाशित जानकारी पर आधारित

No comments:

Post a Comment

जीवन एक संघर्ष

गिद्ध की प्रजाति का एक पक्षी है, नाम भूल रहा हूं। वह अंडे देने के लिए किसी ऊंचे पर्वत की चोटी पर चला जाता है। जोड़ा वहीं अंडे देता है, मादा ...