गिद्ध की प्रजाति का एक पक्षी है, नाम भूल रहा हूं। वह अंडे देने के लिए किसी ऊंचे पर्वत की चोटी पर चला जाता है। जोड़ा वहीं अंडे देता है, मादा अंडों को सेती है और एक दिन अंडा तोड़ कर बच्चे बाहर निकलते हैं। उसके कुछ दिन बाद जब बच्चे घोंसले से निकलना शुरू करते हैं तो नीचे गिर पड़ते हैं। कुछ दिनों के ये बच्चे जब हजारों फीट की ऊंचाई से गिरते हैं, तब नर-मादा इस समय सिवाय चुपचाप देखते रहने के और कुछ नहीं कर सकते, वे बस देखते रहते हैं।
बच्चे पत्थरों से टकराते हुए गिरते हैं। कुछ ऊपर ही टकरा कर मर जाते हैं, कुछ नीचे गिर कर मर जाते हैं। उन्हीं में से कुछ होते हैं जो एकदो बार टकराने के बाद पंखों पर जोर लगाते हैं और नीचे पहुंचने के पहले पंख फडफड़ा कर स्वयं को रोक लेते हैं। बस वे ही बच जाते हैं। बचने वालों की संख्या दस में से अधिकतम दो ही होती है।
अब आप उस पक्षी के जीवन का संघर्ष देखिये! जन्म लेने के बाद उनके दस में से आठ बच्चे उनके सामने दुर्घटना का शिकार हो कर मर जाते हैं, पर उनकी प्रजाति बीस प्रतिशत जीवन दर के बावजूद करोड़ों वर्षों से जी रही है। संघर्ष इसको कहते हैं।
एक और मजेदार उदाहरण है। जंगल का राजा कहे जाने वाला शेर शिकार के लिए किए गए अपने 75% आक्रमणों में असफल हो जाता है। मतलब वह 100 में से 75 बार फेल होता है। अब आप इससे अपने जीवन की तुलना कीजिए, क्या हम 75% फेल्योर झेल पाते हैं? नहीं... इतनी असफलता तो मनुष्य को अवसाद में धकेल देती है। पर शेर अवसाद में नहीं जाता है। वह 25% माक्र्स के साथ ही जंगल का राजा है।
अब इसी घटना को दूसरे एंगल से देखिये! शेर अपने 75% आक्रमणों में असफल हो जाता है... इसका सीधा सा अर्थ है कि हिरण 75% हमलों में खुद को बचा ले जाते हैं। जंगल का सबसे मासूम पशु हिरण शेर जैसे बर्बर और प्रबल शत्रु को बार-बार पराजित करता है और तभी लाखों वर्षों से जी रहा है। उसका शत्रु केवल शेर ही नहीं है, बल्कि बाघ, चीता, तेंदुआ आदि हिंसक पशुओं के अलावा मनुष्य भी उसका शत्रु है और सब उसे मारना ही चाहते हैं। फिर भी वह बना हुआ है... कैसे?
वह जी रहा है, क्योंकि वह जीना चाहता है। हिरणों का झुंड रोज ही अपने सामने अपने कुछ साथियों को मार दिए जाते देखते हैं, पर हार नहीं मानते। वे दुख भरी कविताएं नहीं लिखते, हिरणवाद का रोना नहीं रोते। वे अवसाद में नहीं जाते, पर लडऩा नहीं छोड़ते। उन्हें पूरे जीवन में एक क्षण के लिए भी मनुष्य की तरह चादर तान कर सोने का सौभाग्य नहीं मिलता, बल्कि वे हर क्षण मृत्यु से संघर्ष करते हैं। यह संघर्ष ही उनकी रक्षा कर रहा है।
जंगल में स्वतंत्र जी रहे हर पशु का जीवन आज के मनुष्य से हजार गुना कठिन और संघर्षपूर्ण है। मनुष्य के सामने बस अधिक पैसा कमाने का संघर्ष है, परन्तु अन्य जीव-जन्तु जीवित रहने का संघर्ष करते हैं। फिर भी वे मस्त जी रहे होते हैं और हममें से अधिकांश अपनी स्थिति से असंतुष्ट हो कर रो रहे हैं।
अच्छी खासी स्थिति में जी रहा व्यक्ति अपने शानदार कमरे में बैठ कर एक-दूसरे से जलन व द्वेष का भाव रखता है। हम समझते हैं कि यही संघर्ष है। वे समझ ही नहीं पाते कि यह संघर्ष नहीं, अवसाद है। मनुष्य को अभी पशुओं से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है।
-GKnews Team
No comments:
Post a Comment