Friday, May 24, 2019

आईएएस अधिकारी बनने के लिये कुछ खास टिप्स

सिविल सर्विसेज की तैयारी करने से पहले इस एग्जाम की फिलोसफी को समझना बहुत जरुरी है। क्योंकि दिन-रात पढना, अच्छी कोचिंग जाना या सैकड़ों किताबें पढऩा इस एग्जाम में सफलता की गारंटी नहीं है।

सफल व्यक्ति का भाषण ना सुनें

तैयारी करने वाले सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे हर सफल व्यक्ति का भाषण बड़े गौर से सुनते हैं और उसे कॉपी करने की कोशिश करते हैं जो बहुत घातक साबित होता है क्योंकि सफल व्यक्ति कभी भी पूरी ईमानदारी से अपनी पढ़ाई का तरीका नहीं बताता वह हर चीज़ को बढ़ा- चढ़ाकर बताता है क्योंकि वह अपने आप को दूसरों से विशेष दिखाना चाहता है।

हम जो देखते, सुनते और पढ़ते हैं वह हमेशा सही नहीं होता

इसलिए किसी की बात को सुनकर उसपर आँख करके विश्वास मत करो.. ना ही उसकी कॉपी करो। जो लोग कहते हैं कि उन्होंने 5 साल तक 18-18 घंटे मेहनत की तब आईएएस बन पाए हैं.. उनपर दया करो.. क्योंकि मुझे लगता है अगर किसी व्यक्ति को इस एग्जाम को क्लियर करने में इतना समय लगा तो उससे बड़ा गधा इस दुनिया में और कोई नहीं हो सकता।
जबसे नया पैटर्न आया है यह परीक्षा इतनी आसान हो गई है कि अब 45 प्रतिशत अंक लाने पर आईएएस टॉप कर जाते हैं और 38 प्रतिशत माक्र्स आ जाने पर आपका आईएएस बनना पक्का होता है।
कभी आपने सोचा कि लोग इस परीक्षा में इतना कम स्कोर क्यों कर पाते हैं.. ध्यान रखिये कि सिलेबस बनाने वाले ना तो मूर्ख हैं और ना ही आपके दुश्मन हैं.. अगर आप कम स्कोर कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आप इस एग्जाम को समझ ही नहीं पाए हैं।
ये पक्का है कि यूपीएससी आपकी मदद करने के लिए ही बैठा है.. पर सवाल यह है कि आप अपना हाथ आगे बढ़ा पा रहे हैं या नहीं।
कुछ समय से लगातार यह हौव्वा बनाया जा रहा है कि सिविल सर्विसेज एक बहुत ही मुश्किल और कठिन एग्जाम है.. और यह हौव्वा बनाने में मार्केट फोर्सेज का सबसे ज्यादा योगदान हैं ताकि डरकर आप कोचिंग क्लासेज ज्वाइन करो.. और सैकड़ों किताबें खरीदो।

ग्रेजुएट राजा से बड़ा होता है

याद रखिये आप 'स्नातक' हैं पर आजकल आप स्नातक की मर्यादा की रक्षा नहीं कर पाते.. उपनिषद में एक सन्दर्भ है कि जब किसी स्नातक की सवारी निकलती थी तो राजा अपनी सवारी सड़क के किनारे रोककर स्नातक को रास्ता देते थे।
यदि आप स्नातक हैं तो आपको सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए किसी की मदद की जरुरत नहीं है।
पर आजकल परेशानी यह है कि लोग केवल परीक्षा में अंक लाने के लिए पढ़ते हैं, कुछ सीखने के लिए नहीं.. मेरा दावा है कि अगर आपको अपनी 12वीं तक की पूरी पढ़ाई याद है तो कोई भी आपको सिविल सर्विसेज क्वालीफाई करने से नहीं रोक सकता।
सिविल सर्विसेज के एग्जाम में 12वीं तक का ज्ञान व एक ग्रेजुएट की विचार क्षमता का परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षा में आपसे वही पूछा जाता है जिसकी अपेक्षा एक सामान्य व्यक्ति से की जा सकती है।
हर काम को करने से पहले अपने आप से यह सवाल पूँछिये कि आप यह काम क्यों कर रहे हैं? सिविल सर्विसेज की तैयारी में 'ध्येय' महत्वपूर्ण है ना कि वहां पहुँचने का तरीका.. इसलिए तैयारी का कोई तरीका सटीक नहीं है.. आपकी नजर ध्येय पर होनी चाहिए रास्ता अपने आप बनता जाता है।

आईएएस ज्ञान की परीक्षा नहीं है

सिविल सर्विसेज में आपका ज्ञान नहीं जांचा जाता बल्कि आपमें वह काबिलियत देखि जाती है जो एक सिविल सेवक में होना चाहिए।

जो पढ़ते हैं वह आगे कभी काम नहीं आता

आईएएस की तैयारी के लिए आप जो भी विषय पढ़ते हैं, चयनित हो जाने के बाद वो कहीं काम नहीं आते.. अगर कुछ काम आता है तो वह है आपकी स्किल्स.. इसीलिये यह परीक्षा आजकल ज्ञान की जगह व्यक्तित्व की परीक्षा बन गई है
यूपीएससी के किसी फॉर्म में आपसे ये कभी नहीं पूछा जाता कि आपने कौन सी किताबें पढ़ी हैं या आप दिन में कितने घंटे पढ़ते थे.. बल्कि यह पूछा जाता है कि आपकी हॉबीज क्या हैं क्योंकि आपकी हॉबीज ही आपके व्यक्तित्व की पहचान हैं।

ज्ञानी व्यक्ति बहुत बुरे प्रशासक होते हैं

जो व्यक्ति बहुत ज्ञानी होते हैं वो सामान्यत: अच्छा प्रशासन नहीं चला पाते, इसलिए यह परीक्षा सबसे ज्यादा ज्ञानी लोगों की खोज करने के लिए नहीं है।
ज्ञानी ही चाहिए होते तो यूनिवर्सिटी टॉपर को ही सीधे आईएएस बना देते। कितना आसान था यूपीएससी के लिए भी.. अगर उन्हें देश के सबसे ज्ञानी लोगों को आईएएस बनाना होता तो वे परीक्षा कराने की वजाय सीधे हर यूनिवर्सिटी के टॉपर को ही आईएएस बना देते

अनपढ़ अकबर देश का सबसे अच्छा प्रशासक था

अकबर तो बिलकुल पढ़ा लिखा नहीं था पर उसके शासन को देश के सबसे बेहतरीन प्रशासन के लिए जाना जाता है.. यहाँ तक कि उस समय देश के सबसे बेहतरीन विद्वान भी उसके नवरत्नों में शामिल थे और अकबर उनके ज्ञान का प्रशासन चलाने में इस्तेमाल करता था.. क्योंकि अकबर में प्रशासनिक क्षमता अच्छी थी।

कोई अर्थशास्त्री आज तक सफल व्यवसायी नहीं बन पाया

बड़े-बड़े अर्थशास्त्री जिन्होंने बिजनेस बढ़ाने की बड़ी बड़ी तरकीबें सुझायीं.. कभी अच्छे व्यवसायी नहीं बन पाए.. क्योंकि उनमें किताबी ज्ञान ज्यादा और व्यवहारिक ज्ञान कम था।

सिविल सर्विसेज आपके व्यवहारिक ज्ञान की परीक्षा है

व्यवहारिक ज्ञान आपके ऑब्जरवेशन, अनुभव, विश्लेषण और कॉमनसेंस से मिलकर बनता है।

जो प्रश्न उठाना नहीं जानता व आईएएस नहीं बन सकता

हर बात जो आप सुनते या देखते हैं उस पर प्रश्न उठाइये.. उस पर शक कीजिये... और जब तक पूरी तरह संतुष्ट ना हो जाएं तब तक उसे ना मानिए।
सिविल सर्वेन्ट्स में दो सबसे बड़े गुण होते हैं-ओरिजिनालिटी और डिसीजन मेकिंग
यूपीएससी आपमें वह रॉ मटेरियल ढूंढती है जिसे आगे चलकर एक बेहतरीन प्रशासक के रूप में ढाला जा सके

आईएएस की तैयारी का मतलब आ बैल मुझे मार

सिविल सर्विस में आने का मतलब है अपने सिर पर और जिम्मेदारियां लेना.. यदि आप जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं या अपनी वर्तमान जिम्मेदारियों को ही अच्छे से पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो कृपया इस फील्ड में ना आयें।

देखें.. आप बदलाव के लिए कितने तैयार हैं

सिविल सेवक बनने की चाहत रखने का अर्थ है आप अपनी वर्तमान पहचान बदलकर सिविल सेवक के रूप में पहचाने जाना चाहते हो। याद रखिये कि अगर आप अपनी इमेज बदलना चाहते हैं तो आपको उसके लिए स्वयं में बहुत बदलाव करने की जरुरत है.. क्या आप इन बदलावों के लिए तैयार हैं।

जो पूछा जाता है वह किताबों में नहीं है

सिविल सर्विसेज में जो पूंछा जाता है वह किताबों में नहीं होता.. क्योंकि यहाँ वह पूछा जाता है जो अभी चल रहा है।

चयन इस आधार पर कि आप नया क्या सोच पाते हैं

सिविल सर्विसेज में आपका चयन इस बात पर निर्भर करता है कि आप किसी भी विषय पर क्या नया सोच पाते हैं ....और कुछ भी नया आप तब सोच पाते हैं जब आप अपना खुद का ऑब्जरवेशन विकसित करते हैं और अपने ऑब्जरवेशन को तार्किक तरीके से लोगों के सामने रख पाते हैं।

सरल सबसे कठिन होता है

आईएएस में आजकल बहुत आसान प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर सबको आते हैं पर सब लिखते अलग-अलग हैं। आपके यही उत्तर आपको दूसरों से अलग दिखाते हैं।

साभार : Wizard mind

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