Sunday, November 29, 2020

सवाल- कितने घंटे पढूं... जवाब- छत्तीस घंटे पढ़ो

- अशोक सैन

किसी ने सवाल पूछा- कितने घंटे पढूं? मैंने कहा 'रोज छत्तीस घंटे पढ़ा करो। बाद में समय मिले तो थोड़ा आराम कर लिया करो।' उसने कहा 'ऐसे कैसे??' मैंने कहा 'अरे यार.. आप रोज चालीस घंटे पढ़ोगे तो थक न जाओगे?? हैं?? और सारा टाईम पढोगे तो पबजी कब खेलोगे.. एफबी पर लाइक भी तो ठोकना होता है... पिक पर वेरी नाइस ऐसा झूठ बोलने की मेहनत के लिए भी तो समय निकलना होता है... कोई सेहत का खयाल है कि नहीं??' उसने कहा 'ये क्या मजाक है'.. मैंने कहा 'मजाक तो आप खुद के भविष्य के साथ कर रहे हो.. एफबी पर पबजी वालों से पढ़ाई के समय की सलाह ले रहे हो... जैसे ढिंचक पूजा से शास्त्रीय संगीत की सलाह लेना... जैसे पाकिस्तान से आतंक कम करने की सलाह लेना'..क्या बताऊं??
      आप एफबी पर ये सवाल पूछ रहे हो जहाँ 99त्न से ज्यादा लोग बस टाईमपास करने आते है... अरे भाई आप खुद अपने पढऩे का समय तय नहीं कर सकते, मतलब आपकी निर्णय क्षमता कमजोर है.. एक आईएएस अफसर की निर्णय क्षमता अच्छा होना यूपीएससी के विचार में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
आपने ना पाठ्यक्रम पढ़ा... ना उसकी सही किताबों की गहराई नापी... उस गहराई को समझने के लिए आपकी दिमागी ताकत आप खुद कैसे इस्तेमाल करोगे, ना ये जाना। कम से कम खुद को इतना तो पता होना ही चाहिए कि एक पन्ना पढ़कर समझने के लिए आपको कितना वक्त लगेगा? आपका दिमाग परीक्षा के युद्ध में आपका अहम हथियार है। आपके खुद के दिमाग को कितना वक्त लगेगा ये भी आपको नहीं पता, मतलब आप युद्ध लडऩे जा रहे हो और आपको आपके हथियार की ही जानकारी नहीं... ऐसे में कैसे जीतोगे युद्ध??
      हर इंसान की क्षमता अलग-अलग होती है... कोई किसी पाठ को 20 मिनट्स में समझ लेता है तो किसी को आधा घंटा लगता है... दूसरों के समय से कैसे तय कर सकते हो कि आपकी क्षमता क्या होगी..और वो भी एफबी की जनता से पूछकर जहाँ लोग सिलेबस से ज्यादा लड़की की फोटो पर लाइक ठोकने में उस्ताद है.. खुद के आईएएस के सपने का मजाक न बनाओ.... गंभीर बनो... गौतम गंभीर नहीं... सिलेबस को समझने में गंभीर... ताकि अपनी मेहनत को निखारने का सही रास्ता पा सको, जो सही भी हो और किफायती भी...।
      आमतौर पर शुरुआती सीधा गणित ये है कि 'जिस विषय में ज्यादा अंक उसको पढऩे के लिए ज्यादा समय'.. लेकिन ये अनुभव बताता है कि ये गणित हमेशा काम नहीं आता..क्योंकि सिलेबस में कुछ ऐसे मुद्दे भी है जिन्हें कम अंक हैं लेकिन पढऩा ज्यादा होता है और उन्हें अनदेखा भी नहीं कर सकते क्योंकि वो बहुत अहम भी होते हैं (वैसे तो सब अहम ही हैं????!!)। उसमें भी सही किताब कौन-सी होगी... उस किताब में जानकारी छोटी होगी या बड़ी और जैसी भी होगी उसको लेकर आपका दिमाग उसे पढ़कर समझने में कितना समय लेगा और उसकी नोट्स आप कैसे बना पाओगे ये सब समझना होता है... क्योंकि इतनी सारी जानकारी की बिना शॉर्ट नोट्स बनाए आप रिवीजन नहीं कर सकते... रिवीजन नहीं हुई तो याद नहीं रहेगा, याद नहीं रहेगा तो परीक्षा में लिख नहीं पाओगे... और लिख ही नहीं पाओगे तो यूपीएससी आपको देश में पहली रैंक प्रदान करेगा... है ना?? मतलब ये सब खुद सोचने-समझने की जरूरत होती है... जब आप इन सारी बातों को समझोगे तब आपको कोई बेवकूफ नहीं बना पाएगा... और ये जरूरी भी है... क्योंकि इंटरनेट पर आज इतनी जानकारी है कि कोई भी आपको फंसा सकता है... उनकी बकवास जानकारी आप आईएएस बनने के लिए अच्छी समझकर पढ़कर समय बिताते रहोगे लेकिन पास न हो पाओगे... क्योंकि आपने अपनी समझ ही विकसित नहीं की होगी... बस एफबी पर किसी से पूछ लिया और मान लिया... अरे भाई ज्यादातर यूट्यूबर्स को भी आपके पास होने में कोई दिलचस्पी नहीं होती... वो बस लाइक, शेयर, सब्सक्राइब से पैसा कमाना चाहते हैं... इसलिए वो भी घटिया/अपूर्ण जानकारी के आकर्षक विडिओज दिखाकर आपको भटका सकते हैं... आप भटकते रहोगे और गंभीर अभ्यर्थी लाईब्ररी में पढ़कर पास भी हो जाएंगे... फिर 2-4 बार फेल होने के बाद आपको अक्ल आएगी कि खुद की समझ विकसित करके ही आगे बढऩा सही था... न कि किसी फेसबुकिये से सलाह लेकर भविष्य तय करना...
आपकी खुद की सोच जितनी विकसित होगी उसी के आधार पर यूपीएससी आपका चयन करेगा... दूसरों की सलाह पर खुद की निर्णय क्षमता तय करने की अविकसित सोच के व्यक्ति को यूपीएससी आखिर आईएएस के अधिकार क्यों देना चाहेगी?

- अशोक सैन की फेसबुक वॉल से साभार

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